shripad shrivallabh siddhamangal stotra
बापनाचार्यलु श्रीपाद श्रीवल्लभ के नानाजी थे। श्रीदत्तात्रेय का दर्शन होने के बाद, उन्होंने श्रीपाद श्रीवल्लभ सिद्धमंगल स्तोत्र की रचना की।
श्रीपाद श्रीवल्लभ सिध्दमंगलस्तोत्र
श्री मदनंत श्रीविभुषीत अप्पल लक्ष्मी नरसिंह राजा ।
जय विजयी भव, दिग्विजयी भव, श्रीमदखंड श्रीविजयी भव ।।
श्रीविद्याधरी राधा, सुरेखा, श्रीराखीधर श्रीपादा ।
जय विजयी भव, दिग्विजयी भव, श्रीमदखंड श्रीविजयी भव ।।
माता सुमती वात्सल्यामृत परिपोषित जय श्रीपादा ।
जय विजयी भव, दिग्विजयी भव, श्रीमदखंड श्रीविजयी भव ।।
सत्यऋषीश्वर दुहितानंदन बापनाचार्यनुत श्रीचरणा ।
जय विजयी भव, दिग्विजयी भव, श्रीमदखंड श्रीविजयी भव ।।
सावित्रकाठक चयन पुण्यफला, भारद्वाज ऋषी गोत्र संभवा ।
जय विजयी भव, दिग्विजयी भव, श्रीमदखंड श्रीविजयी भव ।।
दौ चौपाती देव लक्ष्मीगण संख्या बोधित श्रीचरणा ।
जय विजयी भव, दिग्विजयी भव, श्रीमदखंड श्रीविजयी भव ।।
पुण्य रुपिणी राजमांबा सुत गर्भपुण्य फल संजाता ।
जय विजयी भव, दिग्विजयी भव, श्रीमदखंड श्रीविजयी भव ।।
सुमतीनंदन नरहरीनंदन दत्तदेव प्रभू श्रीपादा ।
जय विजयी भव, दिग्विजयी भव, श्रीमदखंड श्रीविजयी भव ।।
पीठीकापुर नित्य विहारा मधुमती दत्ता मंगलरुपा ।
जय विजयी भव, दिग्विजयी भव, श्रीमदखंड श्रीविजयी भव ।।
जय विजयी भव, दिग्विजयी भव, श्रीमदखंड श्रीविजयी भव ।।
जय विजयी भव, दिग्विजयी भव, श्रीमदखंड श्रीविजयी भव
इस स्तोत्र का प्रतिदिन पाठ करने से सभी कार्यो मे सफलता मिलती है।
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